सक्ती । जल आवर्धन योजना अब जनता के लिए सुविधा नहीं, बल्कि मुसीबत का सबब बन चुकी है। नगर की तमाम सड़कों को ठेकेदार ने इस कदर खोद डाला है कि शहर का चेहरा खंडहर में बदल गया है, रोजमर्रा की आवाजाही दूभर हो गई है।



जल आवर्धन योजना के तहत मिरौनी बैराज से पांच नगरीय निकायों में पेयजल आपूर्ति के लिए पाइप लाइन और ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाना था। शुरुआत में इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार से करीब 100 करोड़ रुपये का बजट मंजूर हुआ था, जो अब बढ़कर 120 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। लेकिन इसके बावजूद काम अधूरा है और हालात बद से बदतर।
2021 में शुरू हुई यह योजना तीन साल में पूरी होनी थी, लेकिन 2025 तक भी आधे से ज्यादा काम अधूरा पड़ा है। सबसे शर्मनाक बात यह है कि जहां-जहां पाइप लाइन बिछाई गई, वहां भी सड़कों की मरम्मत नहीं की गई और न ही खुदाई के बाद फ़ीलिंग का काम किया गया। नतीजतन, आए दिन हादसे हो रहे हैं, और लोग जान जोखिम में डालकर गुजरने को मजबूर हैं।
नगर की मुख्य सड़कों से लेकर गली-मोहल्लों तक नालियों तक को उधेड़ डाला गया है। पूरा ठेका तंत्र मनमानी और लापरवाही की खुली मिसाल बन चुका है। जबकि प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है।
इस योजना की दुर्दशा ने यह साबित कर दिया है कि करोड़ों की सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों में ‘सफल’ होती हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत में जनता को केवल गड्ढे, धूल और हादसे नसीब होते हैं। वहीँ जिम्मेदार अधिकारी का कहना है कि लोगों को थोड़ी बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ेगा ठेकेदार द्वारा तीन माह के अंदर खोदे गए सड़कों को भारा जायेगा।