जगदलपुर । छत्तीसगढ़ के बस्तर मे कुपोषण के प्रतिशत को लेकर एक तरफ जहां भाजपा सरकार लगातार इसमें कमी आने का दावा कर रही है ,वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण आहार बंद कर देने से बस्तर में इसके दुष्परिणाम दिखने का दावा कर रही है, विपक्ष के नेताओं का कहना है कि बस्तर में कुपोषण का प्रतिशत अब बढ़ रहा है जिले के सभी सातों ब्लॉक के एनआरसी सेंटरों में गंभीर कुपोषित बच्चे लगातार पहुंच रहे हैं ,दरअसल आंगनबाड़ी केंद्रों में पिछली सरकार के द्वारा दिए जाने वाले अंडा , दूध, महुआ लड्डू, तिल्ली के लड्डू और फल्ली लड्डू बंद कर दिये जाने से कुपोषित बच्चे विकसित नहीं हो पा रहे हैं ..और कुपोषित बच्चो की संख्या तेजी से बढ़ रही है…यही नही रेडी टू ईट भी समय पर आंगनबाड़ी केंद्रों में नही पहुच रहा है जिसके चलते भाजपा सरकार की कुपोषण मुक्त अभियान के दावे खोखले साबित हो रहे है,बस्तर में एक बार फिर से कुपोषण एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है, शहर के साथ साथ ग्रामीण अंचलो मे भी कुपोषण ने बच्चो को जकड़ रखा है, और जिला प्रशासन कुपोषण के बढ़ते मामलो को रोक पाने मे नाकामयाब साबित हो रहा है…

महिला एवं बाल विकास विभाग से मिले आंकड़ो के मुताबिक जिले के आंगनबाडी केन्द्रो मे 83 हजार बच्चे पंजीकृत है, जिनमे 14हजार 563 बच्चे कुपोषित है,वही 2264 बच्चे गंभीर कुपोषित की श्रेणी मे है, इसके अलवा 12 हजार 299 बच्चे मध्यम कुपोषित में शामिल है, वही जिले के 7 एनआरसी सेंटरों में 150 से अधिक गम्भीर कुपोषित बच्चो का इलाज जारी है, महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी मनोज सिंह बताते है कि बस्तर मे कुपोषण एक बडी समस्या है और इसे रोकने के लिए शासन 10 से अधिक योजनाएं आंगनबाडी केन्द्रो मे संचालित कर रही है, साथ ही कुपोषित बच्चो को पोषित करने के लिए जिले के 7 ब्लॉक में 7 जगहो पर एनआरसी सेंटर संचालित है, जंहा बच्चो के लिए खाने पीने और दवाई की व्यवस्था की गई है, अधिकारी का कहना है कि जागरूकता की कमी की वजह से शहरी क्षेत्र की तुलना मे ग्रामीण क्षेत्रो मे कुपोषित बच्चो की संख्या ज्यादा है, परियोजना अधिकारी का कहना है कि कुपोषण की समस्या को लेकर शासन गंभीर है, बस्तर जिले में पिछले 5 सालों में कुपोषण के प्रतिशत में कमी आयी है,वर्तमान में कुपोषण का प्रतिशत 17.21% है….

वही कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुशील मौर्य का कहना है कि बस्तर में कांग्रेस के 5 साल के कार्यकाल में कुपोषण का प्रतिशत काफी हद तक काम हुआ है, इसके पीछे कांग्रेस की सरकार ने डीएमएफटी फंड से आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए खासकर कुपोषित बच्चों के लिए और एनीमिया से ग्रसित माताओ के लिए महुआ लड्डू, फल्ली लड्डू, ,तिल्ली लड्डू और कुपोषित बच्चों के शारारिक विकास के लिए अंडा, दूध देने की योजना बनाई थी…लेकिन छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के साथ ही भाजपा सरकार ने यह सभी योजनाएं बंद कर दी गई है… जिस वजह से पिछले 2 सालों में कुपोषित बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है..बच्चो को सुपोषित करने के लिए शासन की सभी योजनाएं सिर्फ कागजो मे ही पूरी हो रही है…. आंगनबाड़ी केंद्रों में ना ही समय पर रेडी टू ईट पहुंच रहा है और ना ही बच्चों को गरम भोजन मिल पा रहा है…..बस्तर मे कुपोषण की समस्या से निजात दिलाने हर साल करोडो रू. खर्च करने का दावा करने वाली सरकार के सारे दावे बस्तर मे खोखले साबित हो रहे है…बस्तर मे कुपोषित बच्चो को पोषित करने के लिए सिर्फ खानापुर्ति किया जा रहा है जिस वजह से कुपोषण का आंकडा बढ़ता ही जा रहा है….
भाजपा के प्रवक्ता और जगदलपुर नगर निगम के महापौर संजय पांडे का कहना है कि कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में डीएमएफटी फंड से केवल भ्रष्टाचार किया है, छत्तीसगढ़ सुपोषण अभियान चलाने के नाम पर आंगनबाड़ी केंद्रों में खाद्य पदार्थों के सप्लाई पर केवल भ्रष्टाचार हुआ है, महिला स्व सहायता समूह से काम छीनकर बीज निगम से रेडी टू ईट सप्लाई का काम कराया गया है, ताकि पैसों का बंदरबांट हो सके, आलम यह था कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बस्तर के साथ-साथ राज्य के कई जिलों में आंगनबाड़ी में रेडी टू ईट के सप्लाई रुक गयी थी , जिससे कुपोषण के प्रतिशत में इजाफा हुआ, प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद पिछले 2 सालों में कुपोषण के प्रतिशत में कमी आई है ,बकायदा सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में कुपोषित बच्चों और एनीमिया से ग्रसित माताओ को गरम भोजन और रेडी टू ईट दिया जा रहा है ,साथ ही शासन की हर योजना का लाभ उन्हें मिल रहा है, यही वजह है कि पिछले 5 सालों के मुकाबले बस्तर जिले में कुपोषण का प्रतिशत तेजी से घट रहा है और वर्तमान मे केवल 17% है….
गौरतलब है कि पिछले दो सालो मे जिले के एनआरसी सेंटरो मे 8 हजार कुपोषित बच्चो को भर्ती किया गया, इसमे सिर्फ 60 प्रतिशत बच्चे ही पोषित हो पाए, यानि की 40 प्रतिशत भी बच्चो को कुपोषण से मुक्त नही किया जा सका, इधर कुपोषण को दूर करने के लिए शासन भले ही कई योजनांए संचालित कर करोडो रूपए खर्च कर रही हो लेकिन आंकड़ों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि योजनाओं का क्रियान्वयन कितने ठीक तरीके से हो रहा है और दिन ब दिन बस्तर जिले मे कुपोषण की समस्या बढते ही जा रही है…..


