बस्तर और ओडिशा के बीच इंद्रावती नदी और जोरा नाला के जल बंटवारे को लेकर लंबे समय से जारी विवाद पर केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप से साफ इनकार कर दिया है। बस्तर सांसद महेश कश्यप को भेजे पत्र में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने साफ किया है कि वर्ष 2003 में ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच जो समझौता हुआ था, उसमें केंद्र की कोई भूमिका तय नहीं थी। इसलिए इस जल विवाद का समाधान दोनों राज्यों को आपसी चर्चा से ही निकालना होगा।
*अब आपको बताते हैं ये पूरा विवाद है क्या*
बस्तर सीमा से महज़ पाँच किलोमीटर दूर ओडिशा के सूतपदर गांव में इंद्रावती नदी और जोरा नाला का संगम है। पहले जोरा नाला, इंद्रावती की सहायक धारा थी, लेकिन अब जल प्रवाह उलट गया है। इंद्रावती का पानी जोरा नाला में जाने लगा है, जिससे छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में गर्मी और सर्दी के महीनों यानी गैर मानसून काल में गंभीर जलसंकट की स्थिति बन जाती है। इसी समस्या के समाधान के लिए 2003 में ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच एक द्विपक्षीय समझौता हुआ। इसके तहत तय किया गया था कि संगम स्थल पर दोनों राज्यों को आधा-आधा पानी मिलेगा। इसके लिए 2016 में छत्तीसगढ़ सरकार ने लगभग 50 करोड़ रुपये खर्च कर कांक्रीट की दो संरचनाएं कंट्रोल स्ट्रक्चर बनवाईं, लेकिन रेत जमाव और तटबंध कटाव जैसी तकनीकी बाधाओं के कारण आज तक इंद्रावती से छत्तीसगढ़ को उसका हिस्सा नहीं मिल सका। इसी के चलते बस्तर के कई इलाकों में गर्मियों में पीने और सिंचाई के पानी का भीषण संकट खड़ा हो जाता है।
आपको बता दें कि इंद्रावती नदी ओडिशा के कालाहांडी से निकलकर 174 किलोमीटर बहने के बाद छत्तीसगढ़ में प्रवेश करती है, जहां 233 किलोमीटर बहने के बाद बीजापुर जिले में गोदावरी से मिलती है। विवाद की जड़ में है वो बदलाव, जब चार दशक पहले तक इंद्रावती की सहायक रही जोरा नाला, अब उल्टा इंद्रावती का जल निगलने लगी। 1999 में इसी मुद्दे पर तत्कालीन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और ओडिशा के मुख्यमंत्री गिरधर गोमांगो के बीच जगदलपुर में बैठक हुई थी, जिसके बाद 2003 में रायपुर में हुए समझौते के ज़रिए इस जल विवाद को तकनीकी रूप से सुलझाने की कोशिश की गई, लेकिन अब तक इसका व्यावहारिक समाधान नहीं निकल पाया है। केंद्र के ताज़ा रुख के बाद एक बात साफ है अब ये जिम्मेदारी पूरी तरह ओडिशा और छत्तीसगढ़ की है कि वे मिलकर इस जल संकट का स्थायी हल निकालें, ताकि बस्तर के हजारों लोगों को राहत मिल सके। बस्तर सांसद ने कहा कि जोरा नाला विवाद को दोनों राज्य मिल कर बहुत जल्द सुलझा लिया जाएगा इसके लिए खातिगुड़ा डेम के 2 गेट खोलने की जरूरत होगी इसके लिए बहुत जल्द बैठक होगी।