बिलासपुर । बिलासपुर जिले में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के बावजूद बड़ी संख्या में शिक्षक अब तक अपने नए पदस्थापना स्थल पर नहीं पहुंचे हैं। इससे स्कूलों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। जून माह में जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया था, ताकि अतिरिक्त शिक्षकों को जरूरतमंद ग्रामीण और पिछड़े स्कूलों में भेजा जा सके।इस प्रक्रिया के तहत शहर और आसपास के उन स्कूलों से अतिरिक्त शिक्षकों को हटाया गया, जहां संख्या ज्यादा थी और उन्हें उन विद्यालयों में भेजा गया, जो या तो एकल शिक्षक पर निर्भर थे या पूरी तरह शिक्षक विहीन।
सरकार का उद्देश्य हैं कि हर बच्चे को पढ़ाई का समान अवसर मिले और किसी भी स्कूल में पढ़ाई बाधित न हो। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी लगभग 52 अतिशेष शिक्षकों ने नए स्कूलों में कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। इनमें से कई शिक्षक अपने पुराने पदस्थापन स्थल पर ही बने हुए हैं और नए स्कूलों में ज्वॉइनिंग देने से बच रहे हैं। नतीजतन कई ग्रामीण स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो गई है। इधर, जिले के स्कूलों में त्रैमासिक परीक्षा भी शुरू हो चुकी है। ऐसे में शिक्षकों की अनुपस्थिति से बच्चों की पढ़ाई और परीक्षाएं प्रभावित हो रही हैं। ग्रामीण अंचलों के छात्रों और अभिभावकों ने इसे लेकर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि शिक्षक न होने से बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है।डीपीआई ने इस गंभीर स्थिति को संज्ञान में लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी को आदेश दिया है कि ऐसे शिक्षकों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
इधर डीईओ ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी शिक्षक समय पर नए स्कूलों में कार्यभार ग्रहण नहीं करेंगे, उन पर निलंबन की कार्रवाई तय है। शिक्षा विभाग का मकसद है कि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में भी बच्चों की पढ़ाई बिना रुकावट जारी रह सके।
अब देखने वाली बात यह होगी कि विभाग की सख्ती का असर कितना जल्दी होता है और क्या 52 शिक्षक तत्काल नए स्कूलों में कार्यभार संभालते हैं या फिर उन पर निलंबन की कार्रवाई अमल में लाई जाती है।

