जगदलपुर । राखी का त्यौहार… वो दिन जब भाई-बहन का पवित्र रिश्ता सबसे खूबसूरत रूप में नजर आता है। शनिवार को बस्तर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में रक्षाबंधन की धूम रही, लेकिन इन खुशियों का हिस्सा बने वे लोग भी, जो जेल की ऊँची दीवारों के पीछे हैं। दूर-दराज़ से आई बहनें, अपने भाइयों की कलाइयों पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए जेल तक पहुँचीं। राखी के साथ उन्होंने संकल्प लिया की अपने भाई की रक्षा हमेशा हो, और वे जीवन में दोबारा कभी ऐसा कदम न उठाएँ जो उन्हें इन दीवारों के पीछे ले आए।

पिछले 11 वर्षों से 376 के मामले में सजा काट रहा एक कैदी भावुक होकर बोला जीवन में बहुत बड़ी गलती हुई है, और मैं उसके लिए प्रायश्चित कर रहा हूं। जेल ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है, रोजगार भी दिया है, और अब मेरा दृढ़ संकल्प है कि रिहाई के बाद पिता के काम को आगे बढ़ाऊं और मां-बाप व बहन की सेवा करूं। वहीं उसकी बहन ने कहा कि पिछले 11 सालों से हर रक्षाबंधन जेल में आकर राखी बांधती हूं। हर बार अपने इकलौते भाई से कहती हूं कि अब ऐसी कोई गलती मत करना, जिससे हमें जेल तक आना पड़े।
एक और बहन की आँखें भर आईं। उसने कहा 25 साल पहले हम घर में धूमधाम से रक्षाबंधन मनाते थे, लेकिन जब से भाई जेल में है, हमें यहाँ आकर राखी बांधनी पड़ती है। मेरी दुआ है कि अगली बार हम घर में साथ बैठकर त्योहार मनाएँ। जेल अधीक्षक ने बताया कि रक्षाबंधन पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। बहनों के लिए अलग-अलग काउंटर बनाए गए, ताकि वे आसानी से अपने भाइयों तक पहुँच सकें। त्यौहार में भाई-बहन को आमने-सामने बिठाकर राखी बांधने की सुविधा दी गई, जिससे कैदियों को मानसिक सुकून मिलता है और वे अपने परिवार के साथ इस रिश्ते की गरिमा महसूस कर पाते हैं। सुबह 8 बजे से शुरू हुआ राखी बांधने का सिलसिला देर तक चला और लगभग 75% बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र सजाकर इस पवित्र रिश्ते को और मजबूत किया।