युक्तियुक्तकरण के विरोध में पालकों ने बच्चों को स्कूल भेजना किया बंद

महासमुंद । बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्कूलों का किया गया युक्तियुक्तकरण अब बच्चों के पढ़ाई में बाधक बना रहा है। ताजा मामला महासमुंद जिले के मुनगासेर का है जहां के आश्रित ग्राम गुडे़लाभाठा प्राथमिक स्कूल को मुनगासेर हाई स्कूल में मर्ज करने से गुडे़लाभाठा के पालक लगभग 60 बच्चों को पिछले 25 दिनों से स्कूल नही भेज रहे है और उन बच्चों को सामुदायिक भवन में स्वयं पढ़ा रहे है ,जिससे बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। जहां पालक नाम बदलने तक बच्चों को स्कूल नही भेजने की बात कह रहे है ,वही शिक्षा विभाग के आला अधिकारी नियमों के तहत मर्ज करने की बात कहते हुए पालकों को समझाने की बात कह रहे हैं।
महासमुंद जिले के ग्राम पंचायत मुनगासेर में एक ही कैंपस में दो प्राथमिक स्कूल , एक माध्यमिक शाला , एक हाई स्कूल संचालित है । जिसमें प्राथमिक शाला गुडे़लाभाठा व प्राथमिक शाला मुनगासेर , माध्यमिक शाला मुनगासेर एवं हाई स्कूल मुनगासेर है । शासन के स्कूल युक्तियुक्तकरण नियम के अनुसार एक ही परिसर में संचालित सभी स्कूलों को उच्च स्कूल में मर्ज करने के आदेशानुसार शासकीय प्राथमिक शाला गुडे़लाभाठा , शासकीय प्राथमिक शाला मुनगासेर एवं माध्यमिक शाला मुनगासेर को हाई स्कूल मुनगासेर में मर्ज कर दिया गया । शासकीय प्राथमिक शाला गुडे़लाभाठा के पालकों ने इसके विरोध में कक्षा पहली से आठवीं के लगभग  60 बच्चों को 17 जून से स्कूल भेजना बंद कर दिये है । ग्रामीण गुडे़लाभाठा के सामुदायिक भवन में बच्चों को खुद से पढ़ा रहे है । पालकों का कहना है कि हमारा गुडे़लाभाठा आदिवासी बाहुल्य गांव है । हमारे प्राथमिक स्कूल को मुनगासेर हाई स्कूल में मर्ज करने से हमारे गांव का अस्तित्व समाप्त हो रहा है । हमारे स्कूल का अपना इतिहास है । इसलिए जब तक हमारे स्कूल का नाम गुडे़लाभाठा के नाम पर नही होगा हम लोग अपने बच्चों को स्कूल नही भेजेंगे।
इस पूरे मामले में हाई स्कूल मुनगासेर के प्राचार्य का कहना है कि हम लोग जाकर पालकों को समझाने का प्रयास कर रहे है ,पर वो मानने को तैयार नही है , वही जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि स्कूलों का युक्तियुक्तकरण शासन के गाइड लाइन के अनुसार किया गया है । बीईओ को भेजकर पालकों को मनाने का प्रयास करेंगे और बच्चों को स्कूल लाने का हर संभव प्रयास किया जायेगा।
गौरतलब है कि एक ही परिसर में दो प्राथमिक स्कूल गुडे़लाभाठा व मुनगासेर का खोला जाना कई सवाल खड़ा करता है । मसलन दोनों एक ही ग्राम पंचायत के दो गांव है सड़क के एक तरफ मुनगासेर व सड़क के दूसरी तरफ गुडे़लाभाठा, फिर दो प्राथमिक स्कूल खोलने की क्या आवश्यकता पड़ी। संभवतः यही अस्तित्व की लड़ाई का मुख्य कारण है। बहरहाल देखना होगा कि शिक्षा विभाग कैसे और कब तक पालकों को समझाने में कामयाब हो पाता है और बच्चे स्कूल आकर पढ़ाई करते है।

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