बस्तर का लाल रंजीत कश्यप : तिरंगे में लौटे, गांव ने अश्रुपूरित विदाई दी*

जगदलपुर । बस्तर का लाल, रंजीत सिंह कश्यप… वो बेटा, जो बचपन से ही सेना में जाकर देश सेवा का सपना देखता था। वही बेटा आज तिरंगे में लिपटकर अपने गांव लौटा। मणिपुर में उग्रवादियों के हमले में शहीद हुए रंजीत जब सोमवार को बालेंगा गांव पहुंचे तो पूरा गांव शहीद की अंतिम यात्रा का साक्षी बना। गांव की गलियां रंजीत अमर रहे के नारों से गूंज उठीं। हर आंख नम थी, हर दिल गर्व और गम के मिले-जुले भाव से भरा हुआ था।
राज्य के मंत्री केदार कश्यप, स्थानीय विधायक लखेश्वर बघेल, कलेक्टर हरीश एस और एसपी शलभ सिन्हा सहित प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने भी गांव पहुंचकर शहीद को श्रद्धांजलि दी। दरअसल 19 सितंबर को मणिपुर के विष्णुपुर जिले में 33 असम राइफल्स के काफिले पर हमला हुआ था। उसी हमले में रंजीत ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। 2016 में असम राइफल्स से जुड़ने वाले रंजीत अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। परिवार में उनकी पत्नी और तीन बेटियां हैं, जिनमें से सबसे छोटी मासूम अभी केवल चार महीने की है।पिछले महीने ही रंजीत घर आए थे। पत्नी से वादा किया था कि अगली बार लंबी छुट्टी में आएंगे और बेटी का नामकरण करेंगे… लेकिन वो लौटे भी तो तिरंगे में लिपटे हुए। गांववालों के मुताबिक रंजीत बचपन से ही बेहद मिलनसार और मददगार थे। देश सेवा का जज्बा उनमें हमेशा से था।

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