जगदलपुर । बस्तर संभाग में आफत की बारिश ने जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और बस्तर जिला बाढ़ की चपेट में हैं। हालात का जायजा लेने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय खुद बस्तर पहुंचे और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए राहत व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं।


पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बस्तर को बाढ़ ने 20 साल पीछे धकेल दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पीड़ितों का आंसू पोछने वाला कोई नहीं है और राहत सामग्री मजाक जैसी बांटी जा रही है। 5 किलो चावल, कुछ मसाले और दाल देकर प्रशासन अपनी जिम्मेदारी पूरी मान रहा है। बैज ने यह भी कहा कि हेलीकॉप्टर से केवल लोहंडीगुड़ा के परिवार को बचाया गया, जबकि दंतेवाड़ा के सुरभी कॉलोनी में 20 फीट तक पानी भर गया और किसी ने मदद नहीं की। प्रभावित परिवारों के पास न कपड़ा बचा है, न बर्तन, न गैस लेकिन सरकार उन्हें राशन थमाकर औपचारिकता निभा रही है। उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, बच्चों की किताबें, रिजल्ट, स्कूल ड्रेस, राशन कार्ड, बैंक पासबुक और किसानों की फसल-मवेशियों के बह जाने का मुद्दा उठाया। मुआवजे की व्यवस्था पर सवाल करते हुए बैज ने कहा कि केवल घर ढहने वालों को 1 लाख 20 हजार और बाकी कुछ लोगों को 4 हजार या 2500 रुपये दिए जा रहे हैं, जो नाकाफी है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने मांग की कि सरकार तुरंत विशेष पैकेज की घोषणा करे जिनका सबकुछ बह गया उन्हें कम से कम 10 लाख रुपये और अन्य प्रभावित परिवारों को 50-50 हजार रुपये की राहत मिले। साथ ही बच्चों के लिए शिविर लगाकर कॉपी-किताब और ड्रेस उपलब्ध कराई जाए। बैज ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वे हवाई सर्वे कर रहे हैं, जबकि बस्तर की हकीकत जमीन पर जाकर ही समझी जा सकती है। आरोप लगाया गया कि जब बस्तर डूबा हुआ था तब मुख्यमंत्री विदेश यात्रा पर थे और लौटने के बाद उनका स्वागत ढोल-नगाड़ों से किया गया। विपक्ष का कहना है कि अगर सरकार ने समस्याओं का निराकरण नहीं किया तो कांग्रेस खुद प्रभावितों की लड़ाई लड़ेगी।