कुत्ते के हमले से बचाना पड़ा महंगा ..पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज….

जगदलपुर- आवारा कुत्तों के हमलें से अपने बच्चे को बचाना और कुत्ते पर हमला करना वार्डवासियों को महंगा पड़ गया है. बस्तर के कोतवाली थाने में पशु क्रुरता अधिनियम के तहत नामजद एफआईआर दर्ज की गई है. जगदलपुर सीएसपी आकाश श्रीश्रीमाल ने बताया कि 09 जुलाई की रात्रि अब्दुल कलाम वार्ड के लोगों के द्वारा आवारा कुत्ते पर क्रूरता की गई थी. स्ट्रेसेफ फाउंडेशन की कार्यकर्ता के शिकायत पर बीएनएस की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. जिनमें सुशील राय व अन्य साथियों का नाम सामने आया है. इस मामले में विवेचना के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. पशु की मेडिकल रिपोर्ट सामने आने के बाद विभिन्न धारा जुड़ने पर कार्रवाई की जाएगी.

स्ट्रेसेफ फाउंडेशन के सदस्य गुप्तेश ने बताया कि मोहल्ले के कुछ कुत्तों को डंडे से मारने की सूचना मिली थी. इस सूचना के बाद टीम के सदस्य मौके पर पहुंचकर देखे. उस दौरान कुछ पुरुष व महिलाएं लगातार कुत्तों पर हमला कर रहे थे. हमलें से दोनों कुत्तों को चोटें आई थी. दोनों कुत्तों का रेस्क्यू किया गया. और उन्हें पशु चिकित्सालय लाया गया. जिसके बाद खुद के सेंटर कालीपुर में भिजवाया गया. जिसके बाद कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया गया था.

अब्दुल कलाम वार्ड पार्षद अफरोज बेगम ने बताया कि वार्ड के राउत गली में हमेशा 8-10 आवारा कुत्ते रहते हैं. जो आये दिन छोटे छोटे बच्चों पर हमला करते हैं. कुत्तों द्वारा बच्चे को दौड़ाने पर वह गिरकर जख्मी हो गई थी. 09 तारीख की रात्रि भी दूसरे बच्चे को दौड़ाया गया था. बच्चे के बीच बचाव में सामने आये परिजनों ने कुत्तों के ऊपर हमला किया. जिससे कुत्ता घायल हो गया. जिसमे बाद किसी ने कुत्ता प्रेमी के संस्था को कॉल करके इसकी सूचना दी. जिसके बाद रातः के करीब 09 बजे उनका टीम पहुंची. जिनकी संख्या करीब 20 थी. उन्होंने महिला के घर मे घुसकर उनसे गलत भाषाओं का प्रयोग किया. जिसके विरोध में कोतवाली थाने में आवेदन दी गई है. हालांकि इस मामले में पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.

दरअसल बस्तर संभाग के एकमात्र नगर निगम जगदलपुर शहर में आये दिन आवारा कुत्तों के हमलें का मामला सामने आता रहा है. कुत्तों के हमलें से कई मासूम घायल हो चुके हैं. आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए नगर निगम ने विशेष टीम का गठन भी किया. उनके रेस्क्यू के लिए कार्ययोजना बनाकर पैसे भी खर्च किये गए. लेकिन इसका सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है. और इस तरह के मामले आवारा कुत्तों के हमलें से बचने के लिए और भी सामने आने की उम्मीद जताई जा रही है.

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