खंडहर में गढ़ रहे बच्चों का भविष्य…ऐसी हालत की एक ही कक्षा में पड़ रहे सभी बच्चे….

जगदलपुर |  छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्कूल शिक्षा का काफी बुरा हाल है. जिले के ग्रामीण अंचलों में जर्जर स्कूलों में कक्षा संचालित की जा रही है, जिससे कभी भी हादसा होने का डर बना हुआ है.

आलम यह है कि बरसात के मौसम में इस स्कूल के एक कमरे में पानी भर गया है. वहीं दूसरे कमरे में पहली से पांचवी कक्षा तक के बच्चों को एक ही कमरे में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. जिससे बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है.

खास बात यह है कि इस स्कूल परिसर में साल 2021 में ही अतिरिक्त कक्ष बनाया गया है लेकिन 4 साल में ही यह अतिरिक्त कक्ष भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने के चलते जर्जर हो चुका है. विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने बच्चों को इस भवन में छोड़कर ज्यादा जर्जर हो चुकी शाला में ही बैठकर पढ़ाने के आदेश स्कूल के शिक्षकों को दिए हैं, जिससे कभी भी हादसा होने का डर बना हुआ है.

एक ही कमरे में पहली से पांचवी तक लग रही क्लास

जगदलपुर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर और वन मंत्री केदार कश्यप के गृहग्राम फरसागुड़ा से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुरपुरा पंचायत के पल्लीभाटा का प्राथमिक शाला अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. सन 1976 में स्थापित इस स्कूल में मरम्मत के नाम पर सन 1990 में केवल स्कूल के छत में टिन का शेड लगाया गया.

लेकिन यह शेड अब पूरी तरह से सड़ चुका है और स्कूल के कमरे बारिश में तालाब में तब्दील हो चुके हैं.

इस प्राथमिक शाला के शिक्षक गुड्डूराम मौर्य और नरसिंह मौर्य का कहना है कि कई बार विकासखंड शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूल के इस हालत को लेकर आवेदन कर चुके हैं. लेकिन बावजूद इसके कोई सुनवाई नहीं हो रही है. ऐसा नहीं है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस स्कूल का निरीक्षण नहीं किया लेकिन स्कूल की हालत को देखकर केवल मरम्मत का आश्वासन दिया.

शिक्षकों ने बताया कि हालांकि 2021 में इसी प्राथमिक शाला के बगल में अतिरिक्त कक्ष का भवन बनाया गया लेकिन घटिया निर्माण कार्य के चलते 4 सालों में ही इस अतिरिक्त कक्ष के दीवारों में दरांरे आ चुकी हैं और छत भी क्रेक हो गई है. खुद विकासखंड शिक्षा अधिकारी भारती देवांगन ने बच्चों को इस भवन में बैठाने से मना कर दिया.

लिहाजा बच्चों को जर्जर हो चुके टिन के शेड के प्राथमिक शाला में बैठाकर कक्षा संचालित की जा रही है. खास बात यह है कि एक ही कमरे में पहली से पांचवी कक्षा तक पढ़ाई चल रही है, जिससे बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है.

“बच्चों के पालक और ग्रामीण मंत्री जी से भी लगा चुके हैं गुहार”

इधर स्थानीय ग्रामीण भवानी सिंह ठाकुर और बच्चों के पालको का भी कहना है कि खुद वनमंत्री केदार कश्यप अपने गृहग्राम में मौजूद इस बदहाल स्कूल की सुध नहीं ले रहे हैं.

साल 2021 में अतिरिक्त कक्ष तो बनाया गया लेकिन इसके निर्माण कार्य मे भी भ्रष्टाचार करने के चलते 4 साल में ही स्कूल भवन की छत क्रैक पड़ गई है, जिससे कभी भी हादसा हो सकता है.

ग्रामीणों ने बताया कि तेज बारिश होने से बच्चों की स्कूल छुट्टी कर दी जाती है, जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित हो रही है. एक कमरे में पहली से पांचवी तक की कक्षा लगाई जा रही है, जिसमें कुल 48 बच्चे बैठते हैं.

कई बार शिक्षा अधिकारियों ने स्कूल का दौरा किया और ग्रामीणों ने भी मरम्मत के लिए अधिकारियों से गुहार लगाई. यहां तक कि केवल टिन के शेड में त्रिपाल लगाने की भी गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. यही हाल आसपास के दो-तीन प्राथमिक शालाओं का भी है, जहां इसी तरह जर्जर भवन में कक्षाएं संचालित हो रही हैं.

“शिक्षा अधिकारी ने भी माना बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित”

वहीं इस मामले में बस्तर जिला शिक्षा अधिकारी बलराम बघेल का कहना है कि उन्होंने खुद इस स्कूल का निरीक्षण किया है और स्कूल की छत में लगी टिन शेड काफी पुरानी होने के चलते सड़ गयी है. इस वजह से कक्षा के अंदर पानी का रिसाव हो रहा है.

जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि हालांकि बच्चों को बैठने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है. वहीं अतिरिक्त कक्ष का भवन बनाया गया है. उसकी छत में क्रेक पड़ गई है. इसकी भी जांच करने को कहा गया है.

खुद शिक्षा अधिकारी ने भी माना कि एक ही कमरे में पहली से पांचवी तक कक्षा संचालित होने की वजह से पढ़ाई प्रभावित हो रही है. उनका कहना है कि जल्द से जल्द वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी

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