नक्सलवाद बस्तर में खात्मे की ओर है फिर भी नक्सली अपनी मौजूदगी दर्ज करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं….. अब उन्होंने अपने पुराने पैंतरे अपनाने शुरू कर दिए हैं…. फोर्स का मुठभेड़ में सामना नहीं कर पा रहे हैं तो अब छोटे ट्रैप लगाकर आई ई डी से जवानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं… स्मॉल एक्शन टीम नक्सलियों के छोटे समूह आतंक मचाने के लिए अब सक्रिय हो चुके हैं….जो लगातार ग्रामीणों के बीच दहशत फैलाने मुखबिरी का आरोप लगाकर हत्या कर रहे है….जून 2025 की ही अगर बात करें तो नक्सलियों ने पांच घटनाओं को अंजाम दिया है जिसमें एक एडिशनल एसपी समेत 6 ग्रामीणों को नक्सलियों ने हमला कर मारा है….
लगातार सफलता के बाद भी जवानों पर आज भी अंदरूनी इलाकों में गस्त या ऑपरेशन के दौरान आई ई डी का खतरा बना रहता है…और जवानों के पास आई ई डी डीडक्ट करने की कोई अत्याधुनिक मशीन नहीं है और ना ही आई ई डी डिफ्यूज करने की कोई उन्नत तकनीक ऐसे में आमने सामने की लड़ाई लगातार जितने के बावजूद जवान नक्सलियों की इस रणनीति से कही न कही नुकसान झेलने को मजबूर नजर आते है… बस्तर में अब भी कई ऐसी सड़के हैं जिनके नीचे नक्सलियों ने आई ई डी दबा रखी है वे समय-समय पर ऐसी ही आई ई डी का इस्तेमाल कर फोर्स को बड़ा नुकसान पहुंचाते रहे हैं…. इसी साल जनवरी में बीजापुर के कुटरु में बीच सड़क पर आई ई डी ब्लास्ट हुआ था जिसमें 8 डी आर जी के जवान शहीद हुए थे इसके बाद बीजापुर के ही भोपालपटनम के पास नक्सलियों ने ब्लास्ट किया था हालांकि यहां जवान बाल बाल बचे थे…तो वहीं सुकमा जिले के कोंटा के पास आई ई डी ब्लास्ट में एडिशनल एसपी शाहिद हुए थे….नक्सली जानते हैं कि फोर्स अब तक आईडी का तोड़ नहीं निकल पाई है इसीलिए वे इसका इस्तेमाल लगातार कर रहे हैं फोर्स अभी 3 मीटर नीचे दबी आईडी ही ढूंढ पाने में सक्षम है इससे नीचे की आईडी डिडक्ट करने के संसाधन बस्तर में फोर्स के पास उपलब्ध नहीं है….
अंदरूनी इलाकों में जवान लगातार ग्रामीणों के बीच नक्सलियों का डर खत्म करने का प्रयास कर रही है जिसमें बहुत हद तक जवान सफल भी हो रहे है पर बीच बीच में नक्सलियों की मौजूदगी से फिर ग्रामीण दहशत में आ जाते है…दअरसल नक्सलियों की स्मॉल एक्शन टीम दोबारा से सक्रिय हो गई है और खत्म हो रहे नक्सली दहशत को दोबारा ग्रामीणों के जहन में ला रही है…स्मॉल एक्शन टीम नक्सलियों की सबसे कारगर विंग है..इसमें 5से 7 की संख्या में नक्सली पहुंचते है और वारदात को अंजाम देकर भाग निकलते है … जिन गांवों में शांति कायम हो रही थी उन गांव में ग्रामीणों की हत्या कर नक्सली एक बार फिर डर और भाई का माहौल कायम कर रहे हैं पिछले दिनों हिडमा के गांव पावर्ती में स्थापित फोर्स के कैंप के करीब ही एक ग्रामीण की मुखबिरी की शक में हत्या की गई…कुछ दिन पूर्व ही बीजापुर जिले में दो सरेंडर कर चुके पूर्व नक्सलियों को जान से मार दिया साथ ही बीजापुर जिले के ही पोद्दाकोरमा गांव में तांडव मचाते हुए आत्मसमर्पित नक्सली नेता समेत एक छात्र और दो अन्य ग्रामीण की हत्या भी नक्सलियों ने की थी ……पुराने पैंतरों से ऐसी सब घटना को अंजाम देकर नक्सली कुछ हद तक सफल तो हो रहे है पर संघटन में संख्या की कमी नेतृत्व की कमी साथ ही लगातार जवानों के ऑपरेशन से नक्सल संगठन बिखराव की स्थिति में है अब देखना होगा कि नक्सली अपने संघटन को बचा पाते है या जवानों द्वारा तय डेड लाइन तक पहुंचते पहुंचते बिखर जाते है…..