1966 से रुकी परंपरा पर फिर विवाद – बस्तर दशहरा में रथ परिक्रमा को लेकर पटेल समाज की मांग, रथ पर नहीं होंगे राजा रानी सवार तो नहीं चलने देंगे रथ

जगदलपुर । विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा में इस बार रथ परिक्रमा को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल पटेल समाज के लोगों ने भारी संख्या में पहुंचकर परंपरा बहाल करने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि 600 साल पुरानी रीति को फिर से जीवित किया जाए। पटेल समाज के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि अब तक बस्तर राजकुमार कमलचंद्र भंजदेव अविवाहित रहते हुए परंपरा निभाते रहे, लेकिन उनके विवाह के बाद समाज चाहता है कि रथ पर राजा और रानी दोनों एक साथ सवार हों। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह मांग पूरी नहीं हुई, तो समाजजन रथ के सामने धरना देकर परिक्रमा को रोक देंगे। इस विवाद पर जगदलपुर तहसीलदार ने कहा कि यह मुद्दा पहले भी सामने आया था और इसे शासन तक भेजा जा चुका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि निर्णय प्रशासनिक स्तर पर नहीं लिया जा सकता, बल्कि शासन से जो भी निर्देश आएंगे उनका पालन होगा। गौरतलब है कि 1966 में बस्तर राजा प्रवीण चंद्रभान देव की मृत्यु के बाद से अब तक रथ पर केवल मंदिर के पुजारी माता जी का छत्र लेकर सवार होते रहे हैं। लेकिन करीब 59 साल बाद, राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव के विवाह के बाद पटेल समाज अब इस परंपरा को फिर से शुरू करने की मांग पर अड़ा है।

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