बस्तर में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली, तेंदूपत्ता की खराब हालात और आदिवासी अधिकारों को लेकर आज सीपीआई और आदिवासी समाज सड़कों पर उतरे. बीजापुर समेत पूरे बस्तर से जुटे प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 11 बिंदुओं वाला ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम सौंपा। बस्तर की मूलभूत समस्याओं को लेकर आदिवासी समाज और सीपीआई पार्टी ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ नाराज़गी जताई, बीजापुर जिले के सचिव और बस्तर संभाग के सदस्य कमलेश झाड़ी ने बताया कि प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है. युक्तियुक्तकरण के नाम पर करीब 10 हजार स्कूल बंद होने की कगार पर हैं. जिससे शिक्षा दूत के रूप में काम कर रहे स्थानीय शिक्षित युवाओं का रोजगार भी खतरे में पड़ गया है. प्रदर्शनकारियों ने तेंदूपत्ता संग्रहण की बदहाल स्थिति का भी मुद्दा उठाया उनका कहना है कि बीजापुर जिले में तो एक प्रतिशत भी तेंदूपत्ता नहीं तोड़ा गया है. इसके एवज में मुआवजा दिया जाए और पिछले दो वर्षों का बोनस भी जल्द जारी किया जाए। इसके अलावा बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा खनिज सर्वे के नाम पर आदिवासी क्षेत्रों में की जा रही छेड़छाड़ को तुरंत बंद करने की मांग की गई है। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बस्तर के हर जिले में कॉलेज खोलने, स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने और ग्राम सभाओं को संविधान में दिए अधिकारों के तहत सम्मान देने की भी मांग की है। पेसा कानून और पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों की अनदेखी को लेकर भी नाराज़गी जताई गई. उनका कहना है कि सरकार योजनाएं तो बना रही है, लेकिन हक और हक़ीक़त के बीच भारी फासला है. धरना प्रदर्शन के बाद ज्ञापन के ज़रिए मुख्यमंत्री से इन समस्याओं पर ठोस कदम उठाने की मांग की गई है।
शिक्षा, तेंदूपत्ता और खनिज सर्वे को लेकर बस्तर में सीपीआई और आदिवासी समाज का प्रदर्शन, मुख्यमंत्री के नाम 11 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा
